कालियादेह महल उज्जैन का एक ऐतिहासिक और मनोहर स्थल है, जो शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यह महल प्राकृतिक सौंदर्य, प्राचीन स्थापत्य कला और धार्मिक महत्ता का अद्भुत संगम है। यहाँ बहती शिप्रा की धारा और चारों ओर का शांत वातावरण इसे उज्जैन के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कालियादेह महल का निर्माण मूल रूप से मालवा के सुल्तानों द्वारा 15वीं शताब्दी में कराया गया था।
बाद में यह स्थान मुगल सम्राट अकबर और जहाँगीर के समय में विशेष प्रसिद्ध हुआ। उनके आगमन के शिलालेख आज भी यहाँ विद्यमान हैं।
समय के साथ यह महल जीर्ण-शीर्ण हुआ, लेकिन बाद में मध्यप्रदेश शासन और सिंधिया राजवंश के प्रयासों से इसका पुनरुद्धार किया गया।
स्थापत्य विशेषता
महल की वास्तुकला में इस्लामी और हिंदू शैली का सुंदर मिश्रण दिखाई देता है।
यह महल शिप्रा नदी के बीच द्वीप जैसी भूमि पर बना है, जिसके चारों ओर नदी का जल बहता है।
महल के नीचे से शिप्रा की धाराएँ बहती हैं, जिन्हें सूर्यकुण्ड और चंद्रकुण्ड कहा जाता है।
मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर भीतर के प्रांगण तक पत्थरों पर की गई नक्काशी और खंभों की बनावट इसकी भव्यता को दर्शाती है।
धार्मिक महत्व
कालियादेह महल को कभी सूर्य उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता था।
कहा जाता है कि यहाँ प्राचीन काल में सूर्यदेव की पूजा होती थी और यह स्थान कालियादेह तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध था।
महल के आसपास आज भी सूर्य देवता के मंदिर के अवशेष देखे जा सकते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य
महल के चारों ओर फैली हरियाली, बहती शिप्रा नदी, और आसमान का प्रतिबिंब एक चित्रमय दृश्य प्रस्तुत करता है।
सूर्यास्त के समय यहाँ का नज़ारा अत्यंत मनमोहक होता है।
शांत वातावरण, हल्की हवा और जल की कल-कल ध्वनि यहाँ आने वाले प्रत्येक यात्री को आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य का अनुभव कराती है।
आज का कालियादेह महल
वर्तमान में कालियादेह महल उज्जैन का एक प्रमुख पर्यटन और पिकनिक स्थल है।
यहाँ वर्षभर स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है।
धार्मिक महत्व, ऐतिहासिक गौरव और प्राकृतिक सुंदरता — तीनों को समेटे यह स्थल उज्जैन की जीवंत सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
