🌸 उज्जैन — सात वार, नौ त्यौहार 🌸
कहावत है — “उज्जैन में सात वार, नौ त्यौहार।”
अर्थात इस पुण्य नगरी में प्रतिदिन धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक तीज-त्यौहार और आयोजन होते रहते हैं।
१. पूजन और आरती
प्रातःकाल महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती होती है तथा सायंकाल क्षिप्रा नदी तट पर दीप आरती का आयोजन किया जाता है।
२. पर्व काल
सोमवती अमावस्या, शनिश्चरी अमावस्या, कार्तिक पूर्णिमा जैसे पर्वों पर श्रद्धालु क्षिप्रा स्नान, देव दर्शन, दान-पुण्य कर पुण्यफल प्राप्त करते हैं।
३. कालीदास समारोह
प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पाँच दिवसीय यह आयोजन कालिदास अकादमी में होता है।
देशभर से विद्वान, कलाकार और साहित्यकार यहाँ भाग लेते हैं।
कार्यक्रमों में कालिदास रचित नाट्य प्रदर्शन, ग्रंथ विमर्श, चित्रकला और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शामिल होती हैं।
४. हरिहर मिलाप
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी की रात्रि को महाकालेश्वर और गोपाल मंदिर के देव प्रतिमाओं का मिलन होता है।
महाकाल मंदिर में गोपालजी का स्वागत एवं पूजन समारोह होता है।
विदा उपरांत भस्म आरती की जाती है — यह अद्वितीय परंपरा “हरिहर मिलन” कहलाती है।
५. यात्राएँ
(अ) पंचक्रोशी यात्रा
प्रतिवर्ष वैशाख कृष्ण दशमी को यह पवित्र पदयात्रा नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर से प्रारंभ होकर अमावस्या के दिन पुनः वहीं समाप्त होती है।
श्रद्धालु “चार महादेवों” —
द्वारपालेश्वर (पिंगलेश्वर), कायारूणेश्वर (करोहन), बिल्वेश्वर (अम्बोदिया) और दुर्दरेश्वर (जैथल) —
के दर्शन करते हुए उज्जैन लौटते हैं।
रामघाट पर स्नान-पूजन कर यात्री मंगलनाथ जाकर विश्राम करते हैं और अगले दिन नागेश्वर दर्शन के साथ यात्रा पूर्ण करते हैं।
(ब) अष्ट तीर्थ यात्रा
रामघाट से प्रारंभ होकर यह यात्रा कर्कराज महादेव से कालियादेह महल तक के तीर्थों की परिक्रमा करती है।
अमावस्या के दिन मंगलनाथ और नागनाथ के दर्शन के साथ यात्रा पूर्ण होती है।
(स) चार द्वार यात्रा
यह यात्रा पंचक्रोशी के साथ ही आरंभ होती है, जिसमें श्रद्धालु रात्रिकालीन भजन-कीर्तन करते हुए चारों द्वारों के महादेव मंदिरों के दर्शन करते हैं।
६. सिंहस्थ महाकुंभ
उज्जैन में सिंह राशि में बृहस्पति के आगमन पर प्रत्येक १२ वर्ष में वैशाख मास में सिंहस्थ मेला आयोजित होता है।
यह विश्वविख्यात धार्मिक आयोजन इलाहाबाद, हरिद्वार और नासिक के कुंभ मेलों के समान है।
देश-विदेश से साधु-संत, महंत, और अखाड़े पधारते हैं।
लाखों श्रद्धालु क्षिप्रा स्नान, देव दर्शन और दान-पुण्य कर पुण्यफल प्राप्त करते हैं।
“कुंभ दान” और “गुप्त दान” का विशेष महत्व माना जाता है।
७. अष्ट भैरव
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बटुक भैरव
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काल भैरव
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दण्डपाणि भैरव
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आनंद भैरव
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आताल पाताल भैरव
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काला-गोरा भैरव
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गोर भैरव
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अष्ठम भैरव (गुप्त स्थान पर)
८. ग्यारह रूद्र
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पाकपर्दी
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कपाली
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झूलपानी
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चीरवासा
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दिगंबर
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गिरीश
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कामाचारी
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शर्व
(अन्य रूद्र रूप स्थानीय मान्यता अनुसार पूजित हैं।)
९. छः विनायक
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विघ्ननाशक — अंकपात, विष्णु सागर तट पर
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मोदकप्रिय — हरसिद्धि के पीछे गुरु अखाड़ा क्षेत्र में
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स्थिरमन — गढ़ पर, गढ़कालिका मंदिर के समीप
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महामोदक गणेश — महाकाल मंदिर के कुंड पर
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गणाधिपति गणेश — भैरवगढ़ पुल के पास
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महागणपति — अखंड आश्रम के सामने
१०. प्रमुख देवियाँ
गढ़कालिका, नगरकोट की रानी, भूखी माता, विंध्यवासिनी, हरसिद्धि आदि प्रमुख देवी मंदिर उज्जैन में पूजित हैं।
नवरात्रि के अवसर पर यहाँ व्यापक पूजा-अर्चना और भक्तिपूर्ण आयोजन होते हैं।
११. संगम स्थल
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त्रिवेणी संगम
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खड़गता संगम
१२. समाधियाँ
गढ़ क्षेत्र में राजा भर्तृहरि और पीर मत्स्येन्द्रनाथ की समाधियाँ स्थित हैं।
१३. कृष्ण-सुदामा और सांदीपनि आश्रम
अंकपात में स्थित सांदीपनि आश्रम कृष्ण-सुदामा की विद्या स्थली है।
यहाँ नारायणा गाँव में सुदामा द्वारा लाए गए लकड़ी की मूली (भारी) आज भी पूजनीय रूप में रखी हुई है।
आंवलना नवमी को कर्कराज से नगर परिक्रमा प्रारंभ होकर वहीं समाप्त होती है।
१४. अधिक मास और अवंतिका
हर तीन वर्ष में एक बार कोई एक मास “अधिक मास” कहलाता है, जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।
इस काल में भक्तजन स्नान, देव दर्शन, दान और विविध धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
अधिक मास में किया गया दान सामान्य काल की अपेक्षा कई गुना फलदायी माना जाता है।
इस अवधि में अधिकतर दर्शनार्थी “सप्त सागर” और “नव नारायण दर्शन” अवश्य करते हैं।