गढ़कालिका मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध शक्तिपीठ-सदृश तीर्थ स्थल है।
यहाँ विराजमान माँ गढ़कालिका को तांत्रिक विद्या और शक्ति उपासना की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
माँ कालिका और कालिदास का संबंध
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, महाकवि कालिदास माँ गढ़कालिका के अनन्य उपासक थे।
कहा जाता है कि जब से उन्होंने यहाँ आराधना आरंभ की, तभी से उनके जीवन में ज्ञान, काव्य-प्रतिभा और दिव्यता का उदय हुआ।
माँ के प्रति अपनी भक्ति से प्रेरित होकर कालिदास ने “श्यामला दण्डक” नामक महाकाली स्तोत्र की रचना की —
जो उनकी पहली और अत्यंत सुंदर कृति मानी जाती है।
आज भी प्रत्येक वर्ष कालिदास समारोह की शुरुआत माँ कालिका की पूजा-अर्चना से होती है।
इतिहास और प्राचीनता
गढ़कालिका मंदिर की प्राचीनता अज्ञात है, परन्तु माना जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में हुआ था
और यहाँ विराजमान देवी की मूर्ति सतयुग की बताई जाती है।
इतिहास में उल्लेख है कि सम्राट हर्षवर्धन ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था,
जबकि बाद में ग्वालियर के महाराजा द्वारा इसका पुनर्निर्माण भी किया गया।
यह मंदिर आज भी उसी भव्यता और श्रद्धा के साथ भक्तों के आकर्षण का केंद्र है।
शक्तिपीठ से संबंध
यद्यपि गढ़कालिका मंदिर को मुख्य शक्तिपीठ के रूप में नहीं माना गया है,
फिर भी उज्जैन की शक्तिपीठ हरसिद्धि माता के निकट होने के कारण इसका आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
पुराणों में उल्लेख है कि भैरव पर्वत, जो शिप्रा नदी के तट के पास स्थित है,
वहीं माँ सती के ओष्ठ गिरे थे — इसी कारण यह क्षेत्र देवी उपासना का अत्यंत पावन केंद्र माना जाता है।
उत्सव और मेले
गढ़कालिका मंदिर में वर्षभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है,
विशेषकर नवरात्रि के अवसर पर यहाँ भव्य मेला और देवी-जागरण का आयोजन किया जाता है।
इसके अतिरिक्त विविध पर्वों, यज्ञों और धार्मिक उत्सवों में भी यहाँ श्रद्धालुओं का विशाल समागम होता है।
कैसे पहुँचें
✈️ वायुमार्ग:
उज्जैन का निकटतम हवाई अड्डा इंदौर एयरपोर्ट (देवी अहिल्याबाई होलकर विमानतल) है, जो लगभग 65 किमी दूर है।
🚆 रेलमार्ग:
उज्जैन रेलवे स्टेशन कई प्रमुख रूटों से जुड़ा है —
उज्जैन-मक्सी-भोपाल (दिल्ली–नागपुर लाइन) और उज्जैन-नागदा-रतलाम (मुंबई–दिल्ली लाइन) के माध्यम से पहुँचना आसान है।
🛣️ सड़क मार्ग:
उज्जैन देश के कई प्रमुख मार्गों से जुड़ा है —
उज्जैन–आगरा–कोटा–जयपुर, उज्जैन–देवास–भोपाल, और उज्जैन–रतलाम–चित्तौड़ मार्ग से
बस या टैक्सी द्वारा आसानी से मंदिर पहुँचा जा सकता है।
