मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन
उज्जैन को पुराणों में मंगल की जननी कहा गया है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी या अशुभ स्थिति में होता है, वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में पूजा-पाठ करवाने आते हैं।
मंगल दोष क्या है?
मंगल दोष उस स्थिति को कहते हैं जब किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थान पर स्थित होता है। यह दोष जन्मकुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें घर में मंगल की स्थिति से उत्पन्न होता है। इस दोष के कारण जातक को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
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विवाह में बाधा और तनाव
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संबंधों में अनबन और घर में अप्रिय घटनाएँ
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कार्य में असफलता या कठिनाइयाँ
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किसी भी प्रकार की नुकसान या दंपत्ति की असामयिक मृत्यु
मंगल दोष का समाधान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि दोनों वर और वधु मांगलिक हों, तो उनका मंगल दोष एक-दूसरे से समाप्त हो जाता है। इसके अलावा वैदिक पूजा-प्रक्रिया द्वारा मंगल ग्रह की भीषणता को नियंत्रित किया जा सकता है।
मंगल देव की पूजा करने से उनका क्रोध शांत होता है और मंगल द्वारा उत्पन्न नकारात्मक प्रभाव सकारात्मक प्रभाव में बदल सकता है।
मंदिर का महत्व
मंगल दोष वाले व्यक्ति अपने मंगल दोष की शांति के लिए दूर-दूर से उज्जैन आते हैं। पुराणों के अनुसार उज्जैन नगरी को मंगल की जननी कहा गया है, इसलिए यहाँ की पूजा विशेष रूप से फलदायक मानी जाती है। भक्त यहां भात पूजा और अन्य विधिपूर्वक मंत्रों के माध्यम से मंगल देव की आराधना करते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि एवं शांति प्राप्त करते हैं।