गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन
गढ़कालिका मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। यह मंदिर माँ कालिका को समर्पित है और इसे कालजयी कवि कालिदास का उपास्य स्थल माना जाता है। मान्यता है कि जब से कालिदास इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे, तभी से उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का विकास होने लगा। उनकी प्रसिद्ध रचना ‘श्यामला दंडक’ महाकाली स्तोत्र भी यहीं उत्पन्न हुई थी। प्रत्येक वर्ष कालिदास समारोह के आयोजन से पूर्व यहाँ माँ कालिका की विशेष पूजा और आराधना की जाती है।
मान्यताएँ
गढ़कालिका मंदिर में माँ कालिका के दर्शन के लिए रोज़ाना हजारों भक्त आते हैं। मंदिर की प्राचीनता का निश्चित इतिहास ज्ञात नहीं है, फिर भी ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी। मंदिर की मूर्ति सतयुग काल की मानी जाती है। बाद में इसका जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन और ग्वालियर के महाराजा द्वारा कराया गया।
शक्तिपीठ महत्व
हालांकि गढ़कालिका मंदिर को किसी प्रमुख शक्तिपीठ में शामिल नहीं किया गया है, उज्जैन क्षेत्र में माँ हरसिद्धि शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शीप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माँ भगवती सती का ओष्ठ गिरा था, जिससे यह स्थान पवित्र माना जाता है।
मेले और उत्सव
मंदिर में विशेषकर नवरात्रि में भव्य मेला लगता है। इसके अलावा वर्षभर विभिन्न धार्मिक उत्सव और यज्ञ आयोजित होते रहते हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ माँ कालिका के दर्शन के लिए आते हैं।
आगमन
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वायुमार्ग: उज्जैन से इंदौर एयरपोर्ट लगभग 65 किलोमीटर दूर है।
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रेलमार्ग: उज्जैन से मक्सी-भोपाल (दिल्ली-नागपुर लाइन) या उज्जैन-नागदा-रतलाम (मुंबई-दिल्ली लाइन) मार्ग द्वारा पहुँचना संभव है।
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सड़क मार्ग: उज्जैन-आगरा-कोटा-जयपुर मार्ग, उज्जैन-बदनावर-रतलाम-चित्तौड़ मार्ग, उज्जैन-मक्सी-शाजापुर-ग्वालियर-दिल्ली मार्ग, उज्जैन-देवास-भोपाल मार्ग आदि द्वारा देशभर से बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।