शिप्रा नदी के तट पर स्थित महर्षि सांदीपनि आश्रम उज्जैन का एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है। यह वही स्थान है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने बाल्यकाल में अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। यह आश्रम भारत के सबसे प्राचीन गुरुकुलों में से एक माना जाता है और ज्ञान, अनुशासन तथा गुरु-शिष्य परंपरा का जीवंत प्रतीक है।
आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व
महर्षि सांदीपनि, महाभारत कालीन युग के एक महान ऋषि और आचार्य थे। उन्होंने उज्जैन में अपनी गुरुकुल परंपरा की स्थापना की, जहाँ देशभर से विद्यार्थी वेद, शास्त्र, युद्धकला, गणित, खगोल विज्ञान और धर्मशास्त्र का अध्ययन करने आते थे।
किंवदंती है कि जब श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा पूर्ण की, तो गुरु दक्षिणा में उन्होंने अपने गुरु के पुत्र पंचजन का उद्धार कर सांदीपनि मुनि को पुनः जीवित लौटा दिया था। इस प्रसंग से यह स्थान और भी दैवीय और चमत्कारिक बन जाता है।
आश्रम का वर्तमान स्वरूप
आश्रम के परिसर में स्थित हैं —
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गुरु सांदीपनि मंदिर
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गोमती कुंड, जहाँ श्रीकृष्ण स्नान करते थे
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प्राचीन शिलालेख और शिक्षा स्थलों के अवशेष, जो इस स्थान की प्राचीनता का प्रमाण देते हैं।
यहाँ आज भी वेद-पाठ और संस्कृत शिक्षा का कार्य होता है। वातावरण अत्यंत शांत, पवित्र और ध्यानयोग्य है, जिससे आगंतुकों को गुरुकुल युग की अनुभूति होती है।
दर्शन और अनुभव
महर्षि सांदीपनि आश्रम केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि ज्ञान और भक्ति का संगम है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु गुरु-शिष्य परंपरा की दिव्यता का अनुभव करते हैं और अपने जीवन में संयम, ज्ञान और कृतज्ञता का महत्व समझते हैं।
